सिंहगढ़ किला का इतिहास | Sinhagad Fort Full History in Hindi

सिंहगढ़ किला मराठो के वीरता की गाथा और वीर तानाजी का बलिदान |
Sinhagad Fort Full History in Hindi


भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित, सह्याद्रि की पर्वत श्रृंखलाओं में बसा सिंहगढ़ किला ना केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि यह मराठा साम्राज्य की वीरता, बलिदान और रणनीतिक कौशल का जीता-जागता प्रतीक भी है। यह वही स्थान है जहां छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रिय मावले तानाजी मालुसरे ने मुगलों से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की थी। यह किला आज भी महाराष्ट्र की जनता में स्वाभिमान और प्रेरणा का स्रोत है।


सिंहगढ़ किले का ऐतिहासिक परिचय

सिंहगढ़ किले का मूल नाम "कोंढाणा" था। इसे सातवीं से नौवीं शताब्दी के बीच बौद्ध भिक्षुओं द्वारा बसाया गया था। बाद में यह कई राजवंशों के अधीन रहा, जिनमें बहमनी, निजामशाही और आखिरकार मराठा साम्राज्य प्रमुख हैं।


कोंढाणा से सिंहगढ़ तक


1670 ईस्वी में छत्रपति शिवाजी महाराज ने कोंढाणा किले को जीतने के लिए अपने प्रिय सुभेदार तानाजी मालुसरे को भेजा। इस युद्ध में तानाजी ने अपने प्राणों की आहुति दी, परंतु किला जीत लिया गया। शिवाजी महाराज ने उनकी वीरता पर कहा – "गड आला पण सिंह गेला!" तभी से इस किले का नाम सिंहगढ़ पड़ा।


भौगोलिक स्थिति और संरचना

स्थान: पुणे से 30 किमी दक्षिण-पश्चिम में

ऊंचाई: समुद्र तल से लगभग 1,312 मीटर

पहाड़ी: भुलेश्वर की पहाड़ी पर स्थित

प्रवेश द्वार: किले में मुख्यतः दो द्वार हैं – पुणे दरवाजा (उत्तर-पूर्व) और कोंढाणेश्वर दरवाजा (दक्षिण-पश्चिम)

रख-रखाव: महाराष्ट्र पर्यटन विभाग द्वारा देखरेख


तानाजी मालुसरे और सिंहगढ़ युद्ध (1670)

यह किला इतिहास में सबसे प्रसिद्ध है तानाजी मालुसरे की वीरता के कारण। मुगलों ने इस किले पर कब्जा कर लिया था। शिवाजी महाराज ने किला वापस पाने के लिए गुप्त योजना बनाई। तानाजी ने रात के अंधेरे में अपने सैनिकों के साथ किले की दीवार पर चढ़ाई की। उन्होंने एक विशाल गिरगिट (घोरपड – यशवंत) की सहायता से किले पर चढ़ाई की और वहां मौजूद मुगलों से भीषण युद्ध किया।


महत्वपूर्ण तथ्य:

इस युद्ध में तानाजी वीरगति को प्राप्त हुए तानाजी का भाई सूर्या जी ने नेतृत्व संभाला और किला जीत लिया इस युद्ध के बाद कोंढाणा का नाम बदलकर सिंहगढ़ कर दिया गया


किले का महत्व मराठा साम्राज्य में

सिंहगढ़ किला रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि यह पुणे से सटा हुआ था और सह्याद्रि पर्वतमाला की एक ऊंची चोटी पर स्थित था। किले से पूरे क्षेत्र पर नजर रखी जा सकती थी। मराठाओं ने इस किले का उपयोग कई बार किया – विशेष रूप से शिवाजी महाराज और पेशवाओं के काल में।


किले की विशेषताएं

1. किले की प्राचीर और द्वार

किले में मजबूत पत्थरों से बनी प्राचीर है। पुणे दरवाजा और कोंढाणेश्वर दरवाजा दोनों भव्य हैं।


2. राजसदरे व अन्य इमारतें

किले में एक छोटी राजसदरे जैसी संरचना है जहां शिवाजी महाराज कभी-कभार निवास करते थे।


3. स्मारक व समाधियाँ


तानाजी मालुसरे की समाधि

राजाराम महाराज की समाधि (शिवाजी महाराज के पुत्र)

छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति – एक प्रमुख आकर्षण


4. कोंढाणेश्वर मंदिर

यह मंदिर प्राचीन शिव मंदिर है और एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।


5. दरवाजों के बाहर की घाटियाँ और व्यू पॉइंट्स

यहां से खडकवासला डेम, पुणे शहर और सह्याद्रि की घाटियाँ स्पष्ट दिखती हैं।


कैसे पहुंचे सिंहगढ़ किला ?


सड़क मार्ग:

पुणे से किले की दूरी: लगभग 30 किमी

पुणे से टैक्सी, बाइक या बस के माध्यम से किले तक पहुंचा जा सकता है

खडकवासला डेम होते हुए मार्ग सुंदर और घुमावदार है


रेल मार्ग:

निकटतम रेलवे स्टेशन: पुणे जंक्शन

स्टेशन से किले तक टैक्सी या लोकल बस सेवा उपलब्ध


ट्रेकिंग के लिए मार्ग:

गोरख मच्छिंद्रनाथ गुफा मार्ग

पुणे दरवाजा मार्ग से ट्रेकिंग 1.5 से 2 घंटे में पूरी होती है


सिंहगढ़ ट्रेकिंग गाइड

बेस्ट सीजन: जून से फरवरी (मानसून और विंटर)

ट्रेकिंग लेवल: आसान से मध्यम

समय: सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक

खास: ट्रेकिंग करते समय ताजी हवा, पक्षियों की आवाजें और हरियाली आपको मंत्रमुग्ध कर देती हैं


पर्यटन और खानपान की जानकारी

लोकल भोजन:

पिठले-भाकरी

ठेचा

तांदूळ भात व कांदा भजी

सोलकढी

गरमा गरम चहा


रहने की व्यवस्था:

सिंहगढ़ किले के पास कोई होटल नहीं है, लेकिन नीचे गांवों में होमस्टे और गेस्ट हाउस मिल जाते हैं,

पुणे में ठहरना सुविधाजनक है.


रोचक तथ्य (Interesting Facts)

1. सिंहगढ़ किला महाराष्ट्र के 7 प्रसिद्ध दुर्गों में से एक है

2. तानाजी के साथ उनके पुत्र रायबा भी युद्ध में थे, जो जीवित बच गए

3. शिवाजी महाराज ने इस किले के युद्ध के बाद तानाजी की वीरता की प्रशंसा में उन्हें "सिंह" की उपाधि दी

4. 1920 के दशक में लोकमान्य तिलक ने भी यहाँ समय बिताया था

5. कई मराठी फिल्मों और टीवी शोज की शूटिंग यहाँ हुई है


फोटोग्राफी और प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग

यह किला ट्रेकर्स, हाइकर्स और फोटोग्राफरों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। मानसून के समय यहां हरियाली, बादलों से ढका आकाश और घाटियों का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है।


सुरक्षा सुझाव

बारिश के मौसम में फिसलन से बचें

रात में ट्रेकिंग न करें

पानी की बोतल, ट्रेकिंग शूज और मेडिकल किट जरूर रखें

वन्यजीवों से सतर्क रहें


निष्कर्ष (Conclusion)

सिंहगढ़ किला न केवल मराठा इतिहास का एक महान अध्याय है, बल्कि यह आज भी देशभक्ति, बलिदान और वीरता की प्रेरणा देता है। तानाजी मालुसरे की गाथा आज भी जन-जन के हृदय में गूंजती है। अगर आप इति

हास, ट्रेकिंग और प्रकृति प्रेमी हैं, तो सिंहगढ़ की यात्रा आपके जीवन की अविस्मरणीय यात्रा होगी।


क्या आपने कभी सिंहगढ़ ट्रेक किया है ? अनुभव शेयर कीजिए !

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