प्रतापगढ़ किला – शौर्य, इतिहास और प्रकृति का मिलन
Pratapgad Fort Full History in Hindi
![]() |
महाराष्ट्र की पवित्र और वीरभूमि पर स्थित है, छत्रपति शिवाजी महाराज किले एक ऐसा किला जिसने मराठा इतिहास की नींव को मज़बूती दी – प्रतापगढ़ किला। सह्याद्री की पर्वत श्रेणियों में बसा यह किला न केवल अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण महत्वपूर्ण रहा है, बल्कि यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज के अद्वितीय साहस और रणनीतिक कौशल का भी साक्षी है। आज भी यह किला मराठा साम्राज्य के शौर्य और स्वाभिमान की गाथा कहता है।
प्रतापगढ़ किले का स्थान और पहुंच
प्रतापगढ़ किला, महाराष्ट्र के सातारा जिले में स्थित है, और यह मशहूर हिल स्टेशन महाबलेश्वर से लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला समुद्र तल से लगभग 3543 फीट (1080 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है, जिससे यह अपने आसपास के घाटियों और पर्वतों पर एक दृष्टि रखता है।
कैसे पहुंचे प्रतापगढ़?
निकटतम रेलवे स्टेशन: सातारा या पुणे
निकटतम हवाई अड्डा: पुणे (120 किमी)
सड़क मार्ग: मुंबई, पुणे, सातारा से सीधी बस या कार सुविधा उपलब्ध
किले का ऐतिहासिक महत्व
प्रतापगढ़ किला का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1656 में अपने प्रमुख मंत्री मोरोपंत त्र्यंबक पिंगळे की देखरेख में करवाया था। इस किले का निर्माण रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे पूरे कोकण क्षेत्र पर नियंत्रण रखा जा सकता था।
अफ़जल ख़ान वध – प्रतापगढ़ की सबसे महत्वपूर्ण घटना
10 नवम्बर 1659 – इस दिन को मराठा इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। प्रतापगढ़ की तलहटी में शिवाजी महाराज और बीजापुर के सेनापति अफजल ख़ान के बीच ऐतिहासिक मुलाकात हुई थी। अफ़जल ख़ान ने धोखे से छत्रपती शिवाजी महाराज की हत्या करने का प्रयास किया लेकिन शिवाजी महाराज की चतुराई, बघनख (वाघनख) और कट्यार की मदद से उन्होंने अफ़जल ख़ान का वध किया। इसके बाद मराठा सेना ने अफजल की सेना को पराजित कर किले की प्रतिष्ठा को और भी बढ़ा दिया।
किले की वास्तुकला और रचना
प्रतापगढ़ किला दो हिस्सों में विभाजित है:
1. ऊपरी किला (Upper Fort): मुख्य दुर्ग जिसमें शिव मंदिर, राजगद्दी स्थान आदि स्थित हैं।
2. निचला किला (Lower Fort): तलहटी की ओर फैला भाग जो सैनिकों और घुड़सवारों के रहने के लिए उपयोग में आता था।
प्रमुख संरचनाएँ
शिव मंदिर: ऊपरी किले में स्थित यह मंदिर छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर आज भी धार्मिक आस्था का केंद्र है।
भारत माता की मूर्ति: किले के प्रवेश द्वार के पास स्थित एक सुंदर प्रतिमा, जो राष्ट्रभक्ति की भावना जगाती है।
अफजल खान का मकबरा: किले की तलहटी में स्थित है जहाँ अफजल खान को दफनाया गया था।
किले से दिखने वाला दृश्य
प्रतापगढ़ किले से आसपास के दृश्य अत्यंत मनमोहक होते हैं। खासकर मानसून और सर्दियों के समय यहां का नजारा हरियाली और मेघों के कारण स्वर्गिक लगता है। यहाँ से महाबलेश्वर की घाटियाँ, घने जंगल, झरने और सह्याद्री की चोटियाँ साफ दिखाई देती हैं।
प्रतापगढ़ और शिवाजी महाराज की दूरदृष्टि
प्रतापगढ़ किला केवल एक सैनिक अड्डा नहीं था, बल्कि यह एक प्रतीक था – स्वराज्य के स्वप्न का। यह किला छत्रपती शिवाजी महाराज की रणनीतिक दृष्टि का प्रमाण है, जिन्होंने पर्वतों और घाटियों का भरपूर उपयोग करते हुए एक मजबूत किलों की श्रृंखला खड़ी की।
प्रतापगढ़ से अफ़जल ख़ान जैसे शक्तिशाली सेनापति को परास्त करना, मराठा साम्राज्य के आत्मविश्वास को एक नई ऊंचाई देने वाला क्षण था। इसी से प्रेरित होकर छत्रपती शिवाजी महाराज ने आगे चलकर पुरंदर, राजगढ़, रायगढ़, और अन्य कई किलों को भी अपने अधीन किया।
प्रतापगढ़ यात्रा मार्गदर्शिका (ट्रैवल गाइड)
अगर आप एक इतिहासप्रेमी, प्रकृतिप्रेमी या फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो प्रतापगढ़ यात्रा आपके लिए एक यादगार अनुभव साबित होगी।
यात्रा का सर्वश्रेष्ठ समय:
मानसून (जुलाई से सितंबर): हरियाली और बादलों से ढका सुंदर दृश्य
सर्दी (अक्टूबर से फरवरी): ठंडी हवा, धुंध और शानदार दृश्य
आवश्यक सुझाव:
आरामदायक जूते पहनें
पानी की बोतल, रेनकोट (मानसून में)
गाइड की सेवा लें ताकि इतिहास का समग्र अनुभव मिल सके
रोचक तथ्य
प्रतापगढ़ किले में कुल 4 मुख्य दरवाजे और कई छुपे हुए मार्ग हैं।
अफ़जल खान का हाथी, जो महाराज पर आक्रमण के लिए लाया गया था, शिवाजी की सेना द्वारा मार गिराया गया।
यह किला अब ASI (Archaeological Survey of India) के अंतर्गत संरक्षित है।
यहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज की 17 फीट ऊँची कांस्य प्रतिमा भी है जो एक आकर्षण का केंद्र है।
फोटोग्राफी और सोशल मीडिया के लिए आकर्षण
किले के मुख्य द्वार की भव्यता
ऊंचाई से देखने वाली घाटियाँ
शिव मंदिर की वास्तुकला
भारत माता की मूर्ति के साथ सेल्फी
स्थानीय वस्तुएँ और खानपान
प्रतापगढ़ के पास छोटे-बड़े दुकानदार स्थानीय हस्तशिल्प, वडापाव, भजी, सोलकढी और कोल्हापुरी चप्पल बेचते हैं। यहाँ का लोकल खाना और गर्मागरम चाय मौसम को और सुंदर बना देती है।
निष्कर्ष
प्रतापगढ़ किला केवल पत्थरों की दीवार नहीं है, यह मराठा स्वाभिमान की गाथा है, यह छत्रपति शिवाजी महाराज की दूरदृष्टि और पराक्रम का प्रतीक है। यहाँ की हवा भी आपको वीरता की कहानियाँ सुनाती है और आपको गर्व से भर देती है।
यदि आपने अभी तक इस किले को नहीं देखा है, तो एक बार अवश्य जाएँ। यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि इतिहास से मिलने का अनुभव है।