सोमनाथ मंदिर की कहानी: चंद्रदेव से सरदार पटेल तक – अजेय आस्था का प्रतीक | Somnath Temple: The Resilient Legacy of Lord Shiva's First Jyotirlinga

सोमनाथ मंदिर का इतिहास: किसने बनवाया, क्यों तोड़ा गया और कैसे हुआ पुनर्निर्माण – सम्पूर्ण जानकारी
Who Built Somnath Temple? Why Was It Attacked? The Glorious Tale of Its Rebirth


सोमनाथ मंदिर का इतिहास – किसने बनवाया, क्यों तोड़ा गया और कैसे हुआ पुनर्निर्माण | Somnath Temple History Thumbnail in Hindi with Image of Mandir latest update point


भारत का इतिहास अनेक आक्रमणों, विध्वंस और पुनर्निर्माण की गाथाओं से भरा हुआ है। इन्हीं गौरवशाली और संघर्षपूर्ण धरोहरों में से एक है – सोमनाथ मंदिर। यह मंदिर न केवल भगवान शिव का प्राचीनतम ज्योतिर्लिंग है, बल्कि भारत के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्वाभिमान का प्रतीक भी है।


यह लेख आपको बताएगा – सोमनाथ मंदिर कैसे बना, किसने बनवाया, कितनी बार तोड़ा गया, क्यों तोड़ा गया, किसने पुनर्निर्माण कराया और यह आज भी क्यों भारतीय आस्था का केंद्र बना हुआ है।


सोमनाथ मंदिर का परिचय

स्थान: प्रभास पाटन, गिर-सोमनाथ ज़िला, गुजरात

देवता: भगवान शिव (ज्योतिर्लिंग के रूप में)

महत्व: प्रथम ज्योतिर्लिंग, हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र हैं.


यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला माना जाता है। इसकी महिमा स्कंद पुराण, शिव पुराण, ऋग्वेद और महाभारत में भी वर्णित है।


सोमनाथ मंदिर का पौराणिक इतिहास


सोमनाथ मंदिर का संबंध चंद्रमा (सोम) से जुड़ा है। पुराणों के अनुसार:

चंद्रदेव ने दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से विवाह किया, लेकिन वह रोहिणी को अधिक प्रेम करने लगे।

दक्ष ने चंद्र को शाप दिया कि वह क्षय रोग से पीड़ित होंगे और तेजहीन हो जाएंगे।

समाधान के लिए चंद्र देव ने प्रभास तीर्थ में आकर भगवान शिव की तपस्या की।

प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पुनः तेज प्रदान किया और यहां ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए। तभी से यह स्थल सोमनाथ कहलाया।


प्रथम निर्माण – प्राचीन काल


इतिहासकारों के अनुसार सोमनाथ मंदिर का पहला निर्माण संभवतः त्रेता या द्वापर युग में हुआ था।


कुछ प्रमुख मतानुसार:


चंद्र देव द्वारा सर्वप्रथम मंदिर का निर्माण चांदी से किया गया था।

रावण ने सोने से पुनर्निर्माण किया।

श्रीकृष्ण के वंशज भोजराज ने लकड़ी से बनवाया।

गुप्त काल में पत्थरों से भव्य मंदिर बनाया गया।


सोमनाथ मंदिर के विध्वंस की घटनाएँ


1. महमूद गजनवी (1025 ई.)

सबसे पहला विध्वंस महमूद गजनवी ने किया।

वह अफगानिस्तान से 5000 सैनिकों के साथ आया।

मंदिर को लूटा, शिवलिंग को तोड़ा और हजारों हिंदुओं का कत्ल किया। करीब 20 करोड़ की संपत्ति लूटी गई।


2. दिल्ली सल्तनत काल

कुतुबुद्दीन ऐबक ने भी मंदिर को क्षतिग्रस्त किया।

अलाउद्दीन खिलजी ने दोबारा हमला किया।


3. औरंगजेब (1665 ई.)

औरंगजेब ने अंतिम बार मंदिर को नष्ट किया और वहाँ मस्जिद बनवा दी।


हर बार पुनर्निर्माण क्यों होता रहा?


सोमनाथ सिर्फ एक मंदिर नहीं, आत्मगौरव और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक रहा है। हर बार जब इसे तोड़ा गया, तो हिंदू समाज ने इसे फिर से खड़ा किया।


पुनर्निर्माण की प्रेरणा:


धर्म की रक्षा

सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखना

विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ आत्मसम्मान की लड़ाई


आधुनिक पुनर्निर्माण – सरदार पटेल का योगदान

1947 के बाद भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया।

1950 में मंदिर का शिलान्यास हुआ।

1951 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद (भारत के पहले राष्ट्रपति) ने मंदिर का उद्घाटन किया।

“सोमनाथ का पुनर्निर्माण भारत के पुनर्जागरण का प्रतीक है।” – डॉ. राजेंद्र प्रसाद


आधुनिक स्थापत्य और वास्तुकला


वर्तमान मंदिर चालुक्य शैली में बना है।


पूरी तरह से पत्थर से निर्मित – नुकीली गुम्बदें, सुंदर नक्काशी, गर्भगृह में विशाल शिवलिंग।

मंदिर का शिखर 15 मीटर ऊँचा है, जिस पर सोने की कलश है।

समुद्र की ओर एक “एरो पिलर” (दिग्दर्शन स्तंभ) है, जो दर्शाता है कि दक्षिण दिशा में समुद्र के बाद कोई भूमि नहीं है।


धार्मिक महत्व

प्रत्येक शिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं।

यहां रुद्राभिषेक, आरती, ध्यान और पूजा प्रतिदिन होती है।

यह मंदिर “पुनर्जन्म” और “अजेय आत्मा” का प्रतीक है।


पर्यटन और सुरक्षा

मंदिर आज एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।

मंदिर परिसर में अत्यधिक सुरक्षा की व्यवस्था है।

फोटोग्राफी प्रतिबंधित है, पर पर्यटक मंदिर की भव्यता को बाहर से निहार सकते हैं।


सोमनाथ ट्रस्ट का गठन

मंदिर का प्रबंधन “श्री सोमनाथ ट्रस्ट” करता है।

इसके अध्यक्ष पहले सरदार पटेल थे और बाद में के.एम. मुंशी जैसे महान लेखक और राजनेता जुड़े।

आज भी ट्रस्ट ही मंदिर के विकास, धर्मार्थ कार्य और सुरक्षा का प्रबंधन करता है।


सोमनाथ मंदिर से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें

1. राष्ट्रपति भवन के निकट “सोमनाथ मंदिर की घंटी” का नमूना रखा गया है।

2. सोमनाथ रेलवे स्टेशन को भी धर्मिक रूप से सजाया गया है।

3. प्रभास तीर्थ – श्रीकृष्ण ने यहीं अपना शरीर त्यागा था।


विवाद और आलोचना

जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद मंदिर के उद्घाटन में शामिल हुए तो कुछ नेताओं ने धर्मनिरपेक्षता पर प्रश्न उठाया।

लेकिन डॉ. प्रसाद का कहना था: "यह कोई सांप्रदायिक काम नहीं, यह संस्कृति की पुनर्स्थापना है।"


सोमनाथ मंदिर का संदेश

Somnath Mandir latest update point

सोमनाथ सिर्फ एक मंदिर नहीं, एक संघर्ष की प्रतिमा है।

यह बताता है कि चाहे कितनी भी बार विध्वंस हो, भारत की आत्मा को मिटाया नहीं जा सकता।

यह मंदिर अखंड भारत, धर्म की विजय और संस्कृति की अमरता का प्रतीक है।


निष्कर्ष

सोमनाथ मंदिर का इतिहास केवल पत्थरों और ईंटों का नहीं, यह भावनाओं, बलिदानों और श्रद्धा का इतिहास है। इसने साबित कर दिया कि भारत की संस्कृति न केवल प्राचीन है बल्कि अजेय भी है।

हर बार जब कोई आक्रमणकारी इसे मिटाना चाहता था, तो भारत ने उसे पुनः खड़ा करके दिखाया – यही भारत की आत्मा है, यही सनातन धर्म की शक्ति है।


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